Dr. Keshav Baliram Hedgewar

Dr. Keshav Baliram Hedgewar : RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के संस्थापक Dr. Keshav Baliram Hedgewar (डॉ. केशव राव बलीराम हेडगेवार) का जन्म 1 अप्रेल 1989 को नागपुर के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। हेडगेवार जी बचपन से ही अंग्रेजी प्रशासन से नफरत करते थे।
एक दिन स्कूल में एक अंग्रेज अधिकारी के निरिक्षण के दौरान Dr. Keshav Baliram Hedgewar (डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार) ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर “वन्दे मातरम” के नारे लगाने चालू कर दिया जिससे अंग्रेज अधिकारी को गुस्सा आ गया और डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (Dr. Keshav Baliram Hedgewar) को स्कूल से बाहर निकलवा दिया फिर उन्होंने अपनी मेट्रिक तक की पढाई नेशनल स्कूल में पूरी की।
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (Dr. Keshav Baliram Hedgewar) ने 1910 में अपनी डॉक्टर की पढाई कोलकाता से पूरी की पढाई के दौरान ही वे देश के एक प्रसिद्ध क्रन्तिकारी संगठन “अनुशीलन समिति” से जुड़ गए।
सन 1915 में वो नागपुर वापस लौटे और कांग्रेस से जुड़ गए बाद में उनके काम को देखते हुए उन्हें महराष्ट्य के विदर्भ प्रान्त का सचिव बना दिया गया। सन 1920 में नागपुर में कांग्रेस का राष्टय अधिवेशन हुआ जंहा पहली बार डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (Dr. Keshav Baliram Hedgewar) ने पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव कांग्रेस कमिटी के सामने रखा जिसे कॉग्रेस ने पारित नहीं किया।
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1921 में हुए असहयोग आंदोलन में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (Dr. Keshav Baliram Hedgewar) ने बढ़ चढ़ कर हिसा लिया जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और एक साल की सजा सुनाई गई जेल में भी डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (Dr. Keshav Baliram Hedgewar) ने अपना आंदोलन जारी रखा और लोगो के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी उन्हें जब जेल से रिहा किया गया तो जवाहर लाल नेहरू और हाकिम अजमल खां ने उनके स्वगत में आयोजित सभा में सम्बोधन किया।
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कांग्रेस में उन्होंने अपनी पूरी भागीदारी दी और जेल में हुए अनुभव से उन्हें मालूम पड़ा की लोगो के मन में देश के प्रति जो देशभक्ति धुंधली पड़ गयी है और उसे कॉग्रेस के आंदोलन और विचारो से पूर्ण तह जागृत नहीं किया जा सकता है।
आजादी को लेकर लोगो के अंदर भावना जगाने का कार्य बेशक चलता रहे लेकिन राष्ट्र जीवन में गहरी हुई विघटन प्रवृति को दूर करने के लिए कुछ भिन्न उपाय करने होंगे।
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (Dr. Keshav Baliram Hedgewar) की आत्म चिंतन और मंथन का प्रतिफल थी RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) नाम से संस्कार शाला के रूप में शाखा पद्धत्ति की स्थापना जो दिखने में साधारण लेकिन परिणाम में चमत्कारी सिद्ध हुई।

1925 में विजय दशमी के दिन संघ कार्य की शुरुवात हुई। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (Dr. Keshav Baliram Hedgewar) ने कॉग्रेस और क्रांतिकारियों के प्रति अपना रुख सकारात्मक ही रखा।
संघ के स्थापना के बाद 1930 में गाँधी जी ने नमक कानून विरोध आंदोलन छेड़ा तो डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (Dr. Keshav Baliram Hedgewar) ने अपना पद छोड़ संघ प्रमुख (सरसंघ चालक) की जिम्मेदार डॉ. परापंज जी को सौंप दी और खुद अपने कुछ सदस्यों को लेकर नमक कानून आंदोलन में भाग लेने चले गए जिसमे उनकी गिरफ्तारी भी हुई और 9 महीने की जेल हुई।
इसी तरह 1929 में लौहार में हुए कॉग्रेस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ और 26 जनवरी 1930 को देश भर में तिरंगा फहराने है आह्वाहन हुआ तो डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (Dr. Keshav Baliram Hedgewar) के निर्देश पर सभी संघ शाखा में 30 जनवरी को तिरंगा फहराया गया और पूर्ण स्वराज का संकल्प लिया गया।
सन 1928 में लौहार में हुए ब्रिटिश अधिकारी की हत्या के बाद भगत सिंह,राजगुरु,और सुखदेव फरार हों गए जिसमे से राजगुरु फरारी के दौरान नागपुर में डॉ. हेडगेवार के पास आये जिन्हे ठहराने की व्यवस्था उन्होंने उमरेड में एक प्रमुख संघ अधिकारी भय्या जी ढाणी के निवास पर की।
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के महान व्यक्ति एवं युग पुरुष थे जिनका स्वर्गवास जून 1940 में हुआ किन्तु उनके द्वारा स्थापित स्वयं सेवक संघ आज भी अविरल चल रहा है।
परिवार
पिता : पंडित बलिराम पंत हेडगेवार
माता : श्री मति रेवतीबाई हेडगेवार
बड़े भाई : श्री महादेव हेडगेवार एवं श्री सीता राम हेडगेवार
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